गुफा में रहने वाली रूसी महिला कैसे कमाती थी पैसे, बताई भारत में ही बसने की वजह
गोकर्ण, कर्नाटक: हाल ही में गोकर्ण की एक गुफा में रह रही एक रूसी महिला की कहानी ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। उनका नाम नीना कुटीना है और वो बीते कई वर्षों से अपने दो बच्चों के साथ इस गुफा में रह रही थीं।
पूरा मामला क्या है?
40 वर्षीय नीना कुटीना को गोकर्ण की एक गुफा में रहते हुए पाया गया। जब पुलिस और स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी मिली तो उन्हें बाहर लाया गया। लेकिन बाहर निकालने पर नीना काफी दुखी नजर आईं। उन्होंने बताया कि उन्हें वहां का जीवन शांति से भरपूर लगता था और वे प्रकृति के करीब थीं।
नीना कब और कैसे भारत आईं?
नीना साल 2010 के आसपास भारत आई थीं और पिछले 15 वर्षों में करीब 20 देशों का सफर कर चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वे साल 2017 में भारत लौटी थीं और तभी से यहीं रह रही थीं। उनका वीजा खत्म हो चुका था लेकिन वे यहीं बस गईं क्योंकि भारत से उन्हें प्रेम है।
क्या करती थीं गुफा में?
नीना बताती हैं कि वे सूर्योदय के साथ जागतीं, नदी में स्नान करतीं, और फिर प्राकृतिक माहौल में अपने बच्चों के साथ दिन बिताती थीं। वे खाना खुद पकाती थीं और गांव से जरूरी सामान लाती थीं। बच्चों के साथ पेंटिंग, गाना गाना, किताबें पढ़ना और आत्म-साधना करती थीं।
नीना की दो बेटियां और एक दर्दनाक सच
गुफा में नीना के साथ उनकी दो बेटियां थीं जिनकी उम्र लगभग 6 और 8 साल है। उन्होंने बताया कि तीसरा बच्चा, उनका बेटा, अब इस दुनिया में नहीं है। उसके अवशेष (अस्थियां) भी उनके सामान के साथ हैं, जिसे प्रशासन ने जब्त कर लिया है।
गुफा से निकालने पर क्यों हैं नाराज?
नीना ने बताया कि उन्हें जिस जगह फिलहाल रखा गया है, वहां कोई निजता (privacy) नहीं है, सफाई का अभाव है और खाना भी अच्छा नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि, “हमें सिर्फ सादा चावल दिया जा रहा है और गुफा से बाहर निकालने का तरीका भी सही नहीं था।”
पैसे कैसे कमाती थीं नीना?
नीना ने बताया कि वह आर्ट और म्यूजिक वीडियो बनाकर, बेबीसिटिंग करके, और कभी-कभी शिक्षण (Teaching) करके पैसा कमाती थीं। जब काम नहीं मिलता तो उनका भाई, पिता या कोई परिचित आर्थिक मदद कर देते थे। उनका कहना है, “हमें जितना चाहिए था, उतना हमारे पास होता था।”
रूस क्यों नहीं लौटीं?
नीना ने कहा कि उन्होंने अपने कई करीबी लोगों को खो दिया था, जिससे वो मानसिक रूप से टूट गई थीं। इसके अलावा दस्तावेज़ी परेशानियाँ और भावनात्मक समस्याओं ने उन्हें रूस लौटने से रोक दिया। उन्होंने कहा, “भारत हमें बहुत पसंद है — इसका पर्यावरण, लोग, भोजन — सब कुछ।”
नीना की डिलीवरी स्टोरी
नीना ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को बिना किसी डॉक्टर या अस्पताल की मदद के खुद डिलीवर किया। “मैंने खुद ही सब कुछ किया क्योंकि मुझे यह आता था। किसी ने मदद नहीं की।”
क्या कह रहा है प्रशासन?
प्रशासन ने बताया कि महिला और बच्चों को अस्थायी रूप से एक आश्रय स्थल में रखा गया है। उनका पासपोर्ट और वीजा खत्म होने की वजह से मामले की जानकारी दूतावास को भेजी गई है। रूसी दूतावास अब नीना के संपर्क में है।
निष्कर्ष
नीना कुटीना की कहानी सिर्फ एक विदेशी महिला की नहीं, बल्कि एक अभूतपूर्व आत्मनिर्भरता और प्रकृति प्रेम की कहानी है। उन्होंने भारत को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। उनकी यह कहानी एक गहरी सोच को जन्म देती है — क्या हम अपने आधुनिक जीवन की जटिलताओं से बाहर निकलकर सादगी को चुन सकते हैं?
Source: PTI & Local News Reports