मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक गंभीर समस्या ने स्थानीय जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बताया जा रहा है कि यहां पर वर्षों से खुले में रखा गया लाखों क्विंटल अनाज खराब हो चुका है, जिससे इलाके में महामारी के फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यह मामला अब वायरल हो गया है और प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।
स्थिति का जायजा
रीवा के गांव सिरमौर उमरी सहित आस-पास के क्षेत्रों में खुले मैदानों और गोदामों में रखा अनाज नमी, बारिश और उचित प्रबंधन की कमी के कारण सड़ गया है। स्थानीय लोग बार-बार अनाज के सड़ने से फैल रही दुर्गंध, कीट-पतंगों के प्रकोप और स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में शिकायत कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की चिंता और मांगें
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बदबू के कारण आसपास का वातावरण खराब हो रहा है, जिससे बच्चों और बुज़ुर्गों में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। कई लोगों ने प्रशासन से इस समस्या के समाधान का आग्रह किया है और खराब अनाज को जल्द नष्ट करने की मांग की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत निरीक्षण दल भेजा है। अधिकारियों ने बताया है कि खराब अनाज को जल्द से जल्द नष्ट किया जाएगा और जिन गोदामों में स्टोरेज के नियमों का उल्लंघन हुआ है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अनाज के सड़ने से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए इसे लेकर सतर्कता जरूरी है।
क्या वजह बनी अनाज सड़ने की?
विशेषज्ञों का कहना है कि नमी नियंत्रण, गोदामों की खराब हालत, सीमित कीट नियंत्रण और मौसम की मार से अनाज खराब हुआ है। इसके अलावा खुले में भंडारण भी एक बड़ी समस्या है, जिससे फफूंदी और कीट लगने का खतरा बढ़ जाता है।
जन स्वास्थ्य के लिए खतरा
सड़ते हुए अनाज से न केवल आर्थिक हानि होती है, बल्कि यह फफूंदीजन्य रोग फैलाने वाला स्रोत बन सकता है। आसपास के लोगों में स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि एलर्जी, सांस में तकलीफ और अन्य बीमारियां बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
आर्थिक नुकसान और सामाजिक प्रभाव
यह मामला किसानों, उपभोक्ताओं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली दोनों के लिए चिंता का विषय है। लाखों का अनाज खराब होना देश की खाद्य सुरक्षा और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर कई वीडियो और रिपोर्ट्स वायरल हो रही हैं, जो जागरूकता बढ़ाने में सहायक हैं।
आगे के कदम और समाधान
प्रशासन को चाहिए कि वह गोदामों की स्थिति सुधारने, आधुनिक भंडारण तकनीकों को अपनाने और नियमित निगरानी बढ़ाने जैसे कदम उठाए। साथ ही किसानों और गोदाम प्रबंधकों को प्रशिक्षण देकर बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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