Pitru Paksha 2025 हिंदू पंचांग का वह समय है जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान करते हैं। मान्यता है कि इस पखवाड़े में किया गया पुण्य कार्य सीधे पितरों तक पहुँचता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि आती है।
Pitru Paksha 2025 कब है?
पंचांग के अनुसार Pitru Paksha 2025 की शुरुआत 8 सितंबर 2025, सोमवार से होगी और इसका समापन 22 सितंबर 2025, सोमवार को होगा। इस पूरे पखवाड़े में विभिन्न तिथियों पर श्राद्ध किए जाते हैं।
विस्तार से तारीखें पढ़ें: Pitru Paksha 2025 Dates
Pitru Paksha Puja का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति अपने पूर्वजों का विधिवत श्राद्ध करता है, उसे पितरों की कृपा प्राप्त होती है। पितरों का आशीर्वाद परिवार में सुख-शांति और धन-धान्य की वृद्धि करता है।
कहा गया है – “श्राद्धेन पितरः तृप्ताः भवति” अर्थात श्राद्ध से पितर तृप्त होते हैं।
श्राद्ध करने की सही विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूर्व दिशा की ओर बैठकर पूजा करें।
- कुशा, तिल, जल और पितरों के नाम का आह्वान करें।
- पिंड दान में पकाया हुआ चावल, तिल और घी का प्रयोग करें।
- ब्राह्मण भोजन कराना और दान देना अनिवार्य माना गया है।
तर्पण की विधि
तर्पण Pitru Paksha का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तिल, कुश और जल को पितरों के नाम लेकर अर्पित किया जाता है। यह कार्य नदी, सरोवर या घर के आँगन में भी किया जा सकता है।
पिंड दान का महत्व
पिंड दान को पितरों की आत्मा की शांति का सबसे बड़ा उपाय माना गया है। इसमें पकाए हुए चावल, तिल और घी से बने पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं। इसे गया जी (बिहार) या प्रयागराज जैसे तीर्थों पर करना विशेष शुभ माना गया है।
Pitru Paksha 2025 में क्या करें और क्या न करें
- पितरों की स्मृति में दीप जलाएँ।
- जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
- मांस, मदिरा और नकारात्मक कार्यों से बचें।
- गृहस्थ जीवन वाले लोग एक दिन जरूर श्राद्ध करें।
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निष्कर्ष
Pitru Paksha 2025 केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। सही विधि से श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
अधिक जानकारी के लिए देखें: पितृ पक्ष पूजा विधि .
लेखक परिचय
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डिस्क्लेमर
यह आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं और पंचांग की जानकारी पर आधारित है। किसी भी विशेष पूजा-विधि को करने से पहले स्थानीय पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है।