Perplexity ने Google Chrome के लिए $34.5 बिलियन ऑफर क्यों किया?
AI स्टार्टअप Perplexity ने Google के ब्राउज़र Chrome के लिए unsolicited (बिना मांगे) $34.5 बिलियन की all-cash पेशकश की है — जो कंपनी की अपनी हालिया वैल्यूएशन (लगभग $18 बिलियन, जुलाई में रिपोर्ट) से दोगुनी से ज्यादा है। यह कदम कई मायनों में साहसी और रणनीतिक दोनों है।
किस कानूनी-नैरेटिव ने यह मौका बनाया?
पिछले साल अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने Google पर सर्च-मोनॉपॉली का केस जीता और प्रस्तावित किया कि Chrome जैसे “search access point” को अलग कराना (divestiture) प्रतिस्पर्धा बहाल करने का उपाय हो सकता है। DOJ की यह प्रस्तावित रणनीति (proposed final judgment) Chrome को divest करने की बात करती है — जिससे Chrome बेचने का कानूनी रास्ता खुल सकता है।
यह कानूनी पृष्ठभूमि Perplexity जैसे प्रतिद्वंद्वियों के लिए एक दुर्लभ मौका पेश करती है — अगर कोर्ट Chrome बेचना तय करे तो खरीदारों के सामने एक बड़ा डिजिटल गेटवे उपलब्ध होगा।
Perplexity क्या हासिल करना चाहता है?
Perplexity का उद्देश्य केवल ब्राउज़र-होल्डिंग नहीं है; Chrome के माध्यम से उसे सीधे यूज़र्स, ब्राउज़िंग-डेटा और सर्च-ट्रैफ़िक तक पहुंच मिलेगी। Chrome का global reach और डिफ़ॉल्ट-इंटीग्रेशन Chrome को एक अत्यंत कीमती चैनल बनाते हैं — जो Perplexity को अपनी AI-search/Comet ब्राउज़र/एआई-इकोसिस्टम को तेज़ी से scale करने का अवसर दे सकता है।
मौजूदा रिपोर्टों के मुताबिक Perplexity ने कहा है कि वह Chromium engine को open-source बनाए रखेगा और Chrome के विकास में करीब $3 बिलियन का निवेश करने का वादा कर रहा है — साथ ही Google को Chrome में default search बनाये रखने का भरोसा भी दिया गया है। यह स्टेटमेंट Perplexity की “angst-कम करने” की रणनीति का हिस्सा है।
क्या Perplexity के पास इतना पैसा है?
सार्वजनिक जानकारी के अनुसार Perplexity की valuation हाल-ही में ~ $18 बिलियन थी। $34.5 बिलियन का ऑफर कंपनी की वैल्यू से भारी-भरकम है — पर रिपोर्ट बताती हैं कि Perplexity ने कई निवेशकों को इस सौदे के फाइनेंसिंग के लिए कमिट करते हुए बताया है। हालांकि, ऐसे बड़े M&A डील्स में डेट-इक्विटी-कॉम्बिनेशन, स्पेशल पर्पस व्हीकल (SPV) और बड़े-बड़े इक्विटी-पार्टनर्स की जरूरत पड़ती है; इसलिए व्यवहारिक रूप से यह ऑफ़र फाइनेंसिंग के जटिल बंदोबस्त पर निर्भर करेगा।
Perplexity की रणनीति — PR, नियमन और मोर्टल कंपटीशन
यह ऑफर सिर्फ़ खरीद-प्रयास नहीं लगता — बल्कि एक पब्लिक-रणनीति भी है: 1) DOJ-नियमों और एंटी-ट्रस्ट डिबेट में खुद को प्रमुख खिलाड़ी के रूप में पॉज़िशन करना, 2) Google-विरुद्ध नियामक माहौल को उपयोग में लाना, और 3) बाजार में अपनी उपस्थिति और ब्रांड-वेल्यू बढ़ाना। अनेक विश्लेषक इसे Perplexity का ‘bold signalling’ मान रहे हैं — कि वह AI और सर्च-वॉर में खुद को एक सीधा कंटेंडर दिखाना चाहता है।
Google के लिए क्या मायने रखता है?
Chrome Google की एक कीमती संपत्ति है — billions यूज़र्स और सर्च-रूटिंग का स्रोत। Google ने पहले DOJ के उपायों को “overbroad” और “radical” कहा है, और Chrome को बेचने के विचार पर कंपनी ने अदालत में कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसलिए यह कहना कि Google तुरंत Chrome बेच दे — व्यावहारिक रूप से बहुत आसान नहीं है। Perplexity की पेशकश को स्वीकार करने के लिएAlphabet/Google को कानूनी, रणनीतिक और वित्तीय कारणों से गंभीर विचार करना होगा।
इम्प्लीकेशन्स: उपयोगकर्ता, प्रतिस्पर्धा और AI-इकोसिस्टम
- अगर Chrome का स्वामित्व बदलता है, तो ब्राउज़र-इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है — पर साथ में यूज़र-प्राइवेसी, डेटा-नैरेटिव और डिफ़ॉल्ट-सर्च-डील्स जैसे नए सवाल उठेंगे।
- Perplexity के पास Chrome का नियंत्रण आ गया तो वह Google के core search business को सीधे चुनौती दे सकता है — खासकर यदि Chrome में AI-इंटीग्रेशन और सर्च-राउटिंग पर बदलाव आएं।
- लेकिन फाइनेंशियल और नियामक बाधाएँ बड़ी हैं — किसी भी बड़े ब्राउज़र-डील का असर लंबे समय में दिखाई देगा।
कितना यथार्थवादी है यह ऑफ़र?
वित्तीय और कानूनी दृष्टि से यह ऑफ़र एक लंबी और जटिल प्रक्रिया का आरंभिक चरण प्रतीत होता है — न कि तुरंत होने वाला बंदोबस्त। Perplexity का मिलेनियम-स्टाइल ऑफ़र तकनीकी रूप से संभव हो सकता है अगर उसने बड़े निवेशक कमिट कर लिए हों, पर Alphabet की सहमति, DOJ-निर्णय और शेयरहोल्डर-निगेटिविटी जैसे कई अड़चनें हैं।
निष्कर्ष
Perplexity का $34.5 बिलियन का प्रस्ताव न सिर्फ़ एक धमाकेदार खबर है, बल्कि यह बताता है कि एआई-दौड़ अब सर्च और ब्राउज़र लेयर्स तक पहुँच चुकी है। कानून-व्यवस्था (DOJ के कदम), बड़े निवेशों की क्षमता और रणनीतिक कल्पनाशीलता के मिलने पर ही यह कदम महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। फिलहाल यह एक हाई-प्रोफ़ाइल, पर जोखिमों से भरा प्रस्ताव है — जिसका अंतिम नतीजा आने वाले हफ्तों/महीनों में साफ़ होगा।
स्रोत (महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स): Reuters • The Wall Street Journal • Al Jazeera • LiveMint • Axios.