मध्य प्रदेश के रीवा जिले के सिरमौर क्षेत्र में स्थित उमरी गांव से एक गंभीर और भावनात्मक मुद्दा सामने आया है। यहां बताया जा रहा है कि 2014 से खुले में हजारों क्विंटल अनाज सड़ रहा है। इससे उठती दुर्गंध और सड़न के कारण 4-5 किलोमीटर तक का इलाका प्रभावित बताया जा रहा है। स्थानीय लोग Rewa viral news के रूप में इसे लगातार उठा रहे हैं और महामारी फैलने का डर व्यक्त कर रहे हैं।
कलेक्टर ने कहा—यह “गबन का मामला”
रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इस प्रकरण पर कड़ा रुख दिखाते हुए इसे गबन का मामला बताया है। उनके अनुसार, यह स्टॉक 2019 में ही हटाया जाना था। उन्होंने MARKFED (मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ) को तुरंत डिस्पोजल के आदेश दिए हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी तय करने के लिए जांच होगी और दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
कहाँ पड़ा है अनाज—किस तरह हो रही थी स्टोरेज
मामला किसान समृद्धि केंद्र और MARKFED परिसर के पास का बताया गया है, जहां अनाज वर्षों से खुले में पड़ा था। स्थानीय स्तर पर कहा जा रहा है कि तिरपाल/कवर की समुचित व्यवस्था नहीं रही, प्लिंथ और ड्रेनेज कमजोर थे, और नमी-बारिश से फफूंदी व कीट लगने लगे। परिणामस्वरूप, लंबे समय तक पड़ा अनाज पूरी तरह सड़ गया और अब दुर्गंध व कीट-पतंगों का प्रकोप पास-पड़ोस के लिए गंभीर समस्या बन गया है।
स्थानीय लोगों की पीड़ा—“दुर्गंध और बीमारी से जीना मुश्किल”
गांव के निवासियों का कहना है कि हैजा, डायरिया जैसे जलजनित रोगों का खतरा बढ़ रहा है। बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन संबंधी दिक्कतें और एलर्जी जैसी शिकायतें बढ़ी बताई जा रही हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि तुरंत सफाई हो, सड़े अनाज का वैज्ञानिक डिस्पोजल किया जाए, और क्षेत्र में फॉगिंग, सैनिटेशन व हेल्थ कैंप लगे।
विधायक प्रतिनिधि का बयान—“अधिकारियों की घोर लापरवाही”
स्थानीय बीजेपी विधायक प्रतिनिधि रविराज विश्वकर्मा ने कहा कि उन्हें यह मामला मीडिया के जरिए पता चला। उन्होंने इसे लापरवाही का बड़ा उदाहरण बताया और कलेक्टर से तुरंत हटाने की मांग की। इधर, प्रशासन का कहना है कि तत्काल निरीक्षण कर एक्शन प्लान लागू किया जा रहा है और जिम्मेदारों की पहचान के बाद दंडात्मक कार्रवाई तय है।
“2019 में हटना था”—टाइमलाइन पर बड़े सवाल
कलेक्टर के बयान के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब 2019 में हटाने की बात थी, तो यह 2024-2025 तक क्यों टला रहा? जवाबदेही तय होने पर ही रीवा अनाज घोटाला (Rewa anaj ghotala) जैसे आरोपों पर वास्तविक तस्वीर स्पष्ट होगी। फिलहाल, प्रशासन ने MARKFED को आदेशित कर इमीडिएट डिस्पोजल शुरू करवाने की बात कही है।
जन-स्वास्थ्य जोखिम—क्यों बढ़ गया Pandemic का डर?
सड़ते अनाज से फफूंदीजन्य टॉक्सिन और कीट/चूहे से संक्रमण का खतरा रहता है। दुर्गंध और लीचेट (सड़न का रिसाव) से वातावरण प्रदूषित होता है। यदि सफाई में देरी होती है, तो बारिश के मौसम में यह जोखिम और बढ़ जाता है। पब्लिक हेल्थ दृष्टि से, ऐसे मामलों में तुरंत क्वारंटाइन/कवरिंग, फ्यूमिगेशन, और वैज्ञानिक निस्तारण आवश्यक हैं।
आर्थिक नुकसान—किसान और करदाता दोनों प्रभावित
हजारों क्विंटल अनाज का सड़ना सीधे-सीधे सार्वजनिक धन और किसानों की मेहनत का नुकसान है। यह PDS सप्लाई और फूड सिक्योरिटी पर भी असर डाल सकता है। नियमों के अनुसार, सब-स्टैंडर्ड स्टॉक को सार्वजनिक वितरण में नहीं दिया जा सकता। इसलिए रिप्लेसमेंट और बफर से ही आपूर्ति बनाए रखने की व्यवस्था करनी होगी।
तुरंत उठाए जाने वाले 7 कदम (Actionable Plan)
- जॉइंट इंस्पेक्शन: जिला प्रशासन, MARKFED और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम द्वारा वीडियो डॉक्यूमेंटेशन सहित निरीक्षण।
- कंटेनमेंट: सड़े स्टॉक को क्वारंटाइन, कवरिंग/री-कवरिंग, प्लिंथ मरम्मत और ड्रेनेज क्लॉग हटाना।
- फ्यूमिगेशन और पेस्ट कंट्रोल: कीट/चूहे नियंत्रण के लिए SOP आधारित कार्रवाई।
- सैंपलिंग और टेस्टिंग: NABL/फूड लैब्स में mycotoxin, moisture, infestation जांच।
- हेल्थ मेज़र्स: प्रभावित क्षेत्र में फॉगिंग, सैनिटेशन ड्राइव और हेल्थ कैंप।
- जवाबदेही: SOP उल्लंघन/देरी पर शो-कॉज, पेनल्टी और अनुशासनात्मक कार्रवाई।
- पारदर्शिता: पब्लिक डैशबोर्ड/नोटिस पर स्टॉक स्थिति, डिस्पोजल प्रगति और कार्रवाई रिपोर्ट अपडेट।
दीर्घकालीन समाधान—“घटना दोहराई न जाए”
- Modern Warehousing: Silos, sensor-based monitoring, aeration, और IoT आधारित नमी नियंत्रण।
- Weather-proofing: उच्च गुणवत्ता UV-कवर, elevated plinth, और drainage इंफ्रास्ट्रक्चर।
- OPS & Training: स्टैकिंग, फ्यूमिगेशन, pest control और rotation SOPs पर नियमित प्रशिक्षण और थर्ड-पार्टी ऑडिट।
- Audit & Compliance: MARKFED/अन्य एजेंसियों के लिए समयबद्ध ऑडिट कैलेंडर, RTI-सुलभ रिपोर्टिंग और फिक्स्ड एस्केलेशन मैट्रिक्स।
इसी बीच—जनता क्या चाहती है?
इधर, लोग चाहते हैं कि तुरंत सफाई हो, दुर्गंध और कीट से राहत मिले, और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई हो। वे यह भी मांग कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो, इसके लिए टाइम-बाउंड सुधार योजना घोषित की जाए।
Internal Links: राज्य समाचार
Source: MP Rewa Grain Scam Controversy; Collector Pratibha Pal | Sirmaur
External Trusted Media Link: मध्य प्रदेश प्रशासन/आपदा प्रबंधन (संदर्भ हेतु सार्वजनिक सूचना)
Author Bio (NNT Desk): NNT Desk निष्पक्ष, fact-checked रिपोर्टिंग और समुदाय-प्रथम पत्रकारिता के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी टीम स्थानीय मुद्दों को समाधान-उन्मुख दृष्टिकोण से कवर करती है।
Disclaimer: इस रिपोर्ट में प्रयुक्त विवरण स्थानीय निवासियों की शिकायतों और उपलब्ध प्रशासनिक बयानों पर आधारित हैं। जहां जानकारी अपुष्ट है, वहां “सूचना के अनुसार/बताया जा रहा है/इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है” का उल्लेख किया गया है। आधिकारिक जांच/डिस्पोजल रिपोर्ट उपलब्ध होते ही लेख अपडेट किया जाएगा।