अरुणाचल में भीड़ ने रेप आरोपी को थाने से निकालकर पीट-पीटकर मार डाला
पूरा मामला क्या है?
अरुणाचल प्रदेश के रोइंग इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक रेप केस में गिरफ्तार आरोपी को भीड़ ने पुलिस स्टेशन से बाहर निकालकर पीट-पीटकर मार डाला। बताया जा रहा है कि आरोपी पर एक नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का आरोप था, जिसे पुलिस ने हिरासत में लिया था।
लेकिन इस घटना ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब स्थानीय लोगों की भीड़ थाने पर पहुंची और आरोपी को जबरन बाहर खींचकर सजा देने लगी। भीड़ का गुस्सा इस कदर था कि पुलिस भी रोकने में विफल रही और आरोपी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
यह घटना कहां और कब की है?
घटना अरुणाचल प्रदेश के रोइंग कस्बे की है, जो राज्य के निचले दिबांग घाटी जिले में स्थित है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह घटना हाल ही में, जुलाई 2025 के दूसरे सप्ताह में सामने आई।
रोइंग एक छोटा-सा शहरी क्षेत्र है, जहां आम तौर पर इस प्रकार की हिंसक घटनाएं नहीं होती हैं। लेकिन इस बार पूरा मामला भावनात्मक और संवेदनशील होने के कारण स्थानीय जनता का आक्रोश हिंसा में तब्दील हो गया।
आरोपी पर क्या आरोप था?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार व्यक्ति पर एक नाबालिग लड़की से रेप करने का आरोप था। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने IPC की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे थाने में बंद किया था।
स्थानीय लोग इस घटना से काफी नाराज़ थे और सोशल मीडिया पर पहले से ही गुस्से का माहौल बना हुआ था। कई लोग आरोपी को तत्काल सजा देने की मांग कर रहे थे।
भीड़ ने पुलिस थाने पर हमला कैसे किया?
चश्मदीदों के अनुसार, करीब 200-300 लोगों की भीड़ थाने के बाहर इकट्ठा हुई और पुलिस से आरोपी को सौंपने की मांग करने लगी। जब पुलिस ने इंकार किया तो भीड़ ने जोर-जबरदस्ती से थाने का गेट तोड़ दिया।
भीड़ ने आरोपी को जबरदस्ती बाहर निकाला और वहीं उसकी पिटाई शुरू कर दी। पुलिस ने हालात को काबू में करने की कोशिश की, लेकिन संख्या में कम होने के कारण वह सफल नहीं हो सके।
प्रशासन की क्या प्रतिक्रिया रही?
जिला प्रशासन ने घटना को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और कानून व्यवस्था के लिए खतरा” बताया है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है और CCTV फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है।
SP और DM दोनों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और भरोसा दिलाया है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत आरोपी को सजा मिलती।
सोशल मीडिया पर कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
घटना की खबर वायरल होते ही सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग भीड़ की कार्रवाई को “जनता की न्याय” कह रहे हैं, वहीं कुछ इसे कानून के खिलाफ बताया जा रहा है।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों ने भीड़ के इस रवैये को खतरनाक ट्रेंड बताया है और कहा कि इससे लोकतंत्र और कानून व्यवस्था दोनों खतरे में आ सकते हैं।
क्या कह रहे हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से ऐसे मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और लोगों में गुस्सा पनप रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि न्याय प्रक्रिया में देरी के कारण जनता का विश्वास कमजोर पड़ा है।
हालांकि कुछ बुजुर्गों और बुद्धिजीवियों ने भीड़ की कार्रवाई की निंदा की है और इसे “असहनीय और असंवैधानिक” बताया है।
क्या ऐसे मामलों में भीड़ का न्याय उचित है?
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि भीड़ द्वारा किसी आरोपी को मार देना “मॉब लिंचिंग” की श्रेणी में आता है और यह एक संगीन अपराध है। देश के संविधान और कानून में इसकी कोई जगह नहीं है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या जनता को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार है? और अगर नहीं, तो ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं?
निष्कर्ष
रोइंग, अरुणाचल प्रदेश में हुई यह घटना केवल एक आरोपी की मृत्यु नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। अगर भीड़ न्याय करने लगे तो अदालतों और पुलिस की क्या जरूरत रह जाएगी?
यह जरूरी है कि सरकार, पुलिस और जनता मिलकर संवेदनशील मामलों में कानून का सम्मान करें और जल्द-से-जल्द न्याय प्रक्रिया पूरी हो ताकि दोबारा ऐसी घटनाएं न हों।
⚠️ Disclaimer:
यह रिपोर्ट केवल सूचना और जन-जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न सार्वजनिक रिपोर्ट्स, स्थानीय सूत्रों व मीडिया कवरेज पर आधारित है। हम किसी भी व्यक्ति, संस्था या समुदाय के खिलाफ पूर्वाग्रह नहीं रखते और सभी पक्षों का सम्मान करते हैं।
















