MP की महिला कलेक्टर 2KM पैदल चलकर पहुंचीं टांडाटोला गांव – चौपाल में सुनीं आदिवासियों की समस्याएं
डिंडोरी, मध्यप्रदेश।
मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में एक असाधारण पहल देखने को मिली जब जिले की कलेक्टर नेहा मारव्या ने 2 किलोमीटर का पथरीला और ऊबड़-खाबड़ रास्ता पैदल चलकर आदिवासी गांव टांडाटोला तक पहुंच बनाई। इस ऐतिहासिक दौरे में उनके साथ पूरा प्रशासनिक अमला भी शामिल रहा।
पूरा मामला क्या है?
वनग्राम गिठौरी पंचायत के टांडाटोला गांव तक पहुंचने के लिए न तो पक्की सड़क है, और न ही कोई पुल। ऐसे में कलेक्टर और अधिकारियों को 2 किलोमीटर का कठिन रास्ता पैदल तय करना पड़ा। ग्रामीणों से सीधे संवाद करने की मंशा से उन्होंने गांव में एक चौपाल लगाई और वहां की जमीनी हकीकत को देखा।
यह घटना कहां और कब की है?
यह घटना डिंडोरी जिले की है, जो मध्यप्रदेश के सबसे पिछड़े और आदिवासी बहुल जिलों में से एक है। यह दौरा हाल ही में हुआ, जब प्रशासनिक टीम गांव के हालात का निरीक्षण करने पहुंची।
कलेक्टर ने क्या कहा?
कलेक्टर नेहा मारव्या ने चौपाल के दौरान ग्रामीणों की समस्याएं ध्यान से सुनीं और मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को समाधान के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि सड़क, पुल और स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं हर नागरिक का हक हैं और इन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
गांववालों की मांगें क्या थीं?
चौपाल में ग्रामीणों ने कई गंभीर मुद्दे उठाए। इनमें प्रमुख मांगें थीं:
- गांव तक पक्की सड़क का निर्माण
- नदी पर पक्का पुल बनाना
- स्थायी प्राथमिक स्कूल की स्थापना
- वन अधिकार पट्टों के वितरण में पारदर्शिता
इन सभी मुद्दों को कलेक्टर ने गंभीरता से लिया और समाधान का आश्वासन दिया।
पहली बार गांव में आया प्रशासन
ग्रामीणों के अनुसार, यह पहली बार था जब कोई कलेक्टर और प्रशासनिक टीम उनके गांव तक आई थी। इस ऐतिहासिक क्षण ने गांववालों में नई उम्मीद जगा दी।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
ग्रामीणों ने प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया और कलेक्टर के इस जमीनी दौरे को ऐतिहासिक करार दिया। गांववालों ने कलेक्टर का आभार व्यक्त करते हुए अनुरोध किया कि ऐसी चौपालें नियमित रूप से आयोजित हों ताकि उनकी समस्याएं जल्दी हल हो सकें।
निष्कर्ष
डिंडोरी जिले का यह दौरा प्रशासन और जनता के बीच सेतु बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के प्रयास न सिर्फ सरकारी योजनाओं की पहुंच बढ़ाते हैं बल्कि जनता का विश्वास भी मजबूत करते हैं।
कलेक्टर नेहा मारव्या का यह दौरा निश्चित रूप से एक उदाहरण है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो प्रशासनिक दीवारों को भी पार किया जा सकता है।
















