बरेली केस: प्रेमी से मिलने के बाद लौटी पत्नी, मना करने पर पति ने कर दी नृशंस हत्या
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया है। नगर निगम में सफाईकर्मी के तौर पर कार्यरत 35 वर्षीय दीपमाला उर्फ दीपा की मौत की घटना बताती है कि घरेलू झगड़े कब खौफनाक रूप ले लें, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि हत्या आरोपित पति राजीव ने ही की — और वजह बनी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से संबंध बनाए रखना।
घटना की पृष्ठभूमि और समयरेखा
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, मामला 14–15 जुलाई 2025 की रात/सुबह का है। 14 जुलाई की रात दीपा अपने कथित प्रेमी अरुण से लगभग तीन घंटे मिली और वापस लौट आई। इस मुलाकात के बाद घर पर तकरार व बहस हुई। घटनास्थल पर मौजूद किराये के कमरे के एक पड़ोसी की सूचना पर पुलिस को घटना की जानकारी मिली।
अगले दिन सुबह जब विवाद बढ़ा और दीपा ने कहा कि वह अरुण के साथ ही रहना चाहती है, तो आरोपित राजीव का गुस्सा भड़क गया। उसके द्वारा कही गयी बातों और किए गए कर्मों का परिणाम दर्दनाक था — राजीव ने कमरे में रखी चारपाई के पाये से वार कर दीपा को बेहोश कर दिया और बाद में शेविंग ब्लेड से गला काट दिया।
किस तरह पकड़ा गया आरोपी
हत्या के बाद आरोपी फरार हो गया और स्थानीय पुलिस उसकी तहकीकात में जुट गयी। पुलिस ने मामले में तेजी दिखाते हुए आरोपी की तलाश में ठोस कदम उठाये और उस पर ₹25,000 का इनाम भी घोषित किया गया था। अंततः इज्जतनगर पुलिस ने राजीव को खजुरिया जुल्फिकार तिराहे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
आरोपी का बयान और विवाद की जड़
पूछताछ के दौरान राजीव ने स्वीकार किया कि उसकी पत्नी दीपमाला अरुण से संपर्क में थी और बार-बार उससे मिलती थी। राजीव के अनुसार, वह खुद मुंबई गया था और कुछ समय के लिए पत्नी से दूरी रही। लौटने पर उसने पाया कि दीपा अरुण के संपर्क में है और दोनों के बीच झगड़े बढ़ने लगे। राजीव ने कहा कि बार-बार समझाने और टाल-मटोल करने के बावजूद उसकी पत्नी ने अपने रुख पर अडिग रहीं, जिसके बाद उसने यह क्रूर कदम उठाया।
कानूनी पहलू और पुलिस की प्राथमिक कार्रवाई
पुलिस ने इस हत्या को गंभीर आत्महत्या-उन्मुख हिंसा (homicide) की श्रेणी में लेते हुए प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड के लिए भेज दिया। एसएसपी कार्यालय ने कहा कि आरोपों की गहराई से जांच की जा रही है और घटना के हर पहलू — मोबाइल कॉल रिकॉर्ड, संदिग्धों के आवागमन और पड़ोसियों के बयानों — को जांच में शामिल किया जाएगा।
किस प्रकार के सबूत हो सकते हैं निर्णायक
ऐसे मामलों में आमतौर पर जिन सबूतों को निर्णायक माना जाता है उनमें शामिल हैं:
- संदिग्ध के और पीड़िता के फोन कॉल तथा मैसेज लॉग
- सीसीटीवी फुटेज या किसी पड़ोसी का नेगोशिएबल बयान
- फोरेंसिक रिपोर्ट — खून के निशान, ब्लेड या हथियार से जुड़ा फिंगरप्रिंट
- मेडिकल/पोस्टमार्टम रिपोर्ट जिसमें मृत्यु का कारण व समय अंकित होता है
समाजिक और पारिवारिक असर
यह घटना सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है; यह परिवारों और समाज के उस पहलू को उजागर करती है जहाँ संवाद टूटने पर निहत्थे रिश्ते भी हिंसा की ओर मोड़ ले लेते हैं। छोटे-छوٹे मतभेद, झुकने की अनिच्छा और जलन अगर सही वक्त पर संभाली न जाएं तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।
स्थानीय समाज में इस हत्या ने भय और गुस्सा दोनों भर दिए हैं। कई लोग कह रहे हैं कि घरेलू विवादों के समाधान के लिये सामुदायिक सहयोग, काउंसलिंग और कानूनी सलाह की उपलब्धता बढ़ानी होगी।
निवारक कदम और जागरूकता
ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए कुछ अहम बातें जरूरी हैं:
- घरेलू विवादों को हिंसा से पहले शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिये mediation सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
- यौन-जीवन व रिलेशनशिप संबंधी समस्याओं पर सामाजिक कलंक घटाना ताकि लोग मदद मांग सकें।
- पुलिस को कमाल की तत्परता से साथ-साथ प्रभावी परिवार-समन्वय प्रशिक्षण देना, ताकि वे केवल गिरफ्तारी नहीं बल्कि रोकथाम पर भी काम करें।
कानून के तहत संभावित धाराएँ
आरोपित पर सार्वजनिक तौर पर हत्या (murder) का आरोप लगना तय माना जा रहा है। केस के स्वरूप के आधार पर Sections जैसे IPC 302 (हत्या) के साथ-साथ अन्य संबंधित धाराएँ भी लागू की जा सकती हैं। अगर किसी तरह का पूर्वाभास, प्रीमेडिटेशन या दोसरे लोगों की मिलीभगत पाई जाती है तो चार्जशीट में और कड़ी धाराएँ जोड़ने की भी गुंजाइश रहती है।
न्याय और भावनात्मक पीड़ा
दीपा के परिजनों व स्थानीय समुदाय पर यह घटना गहरा असर छोड़ गयी है। न केवल पीड़ित परिवार बल्कि आस-पास के लोगों के मन में भी सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने तक सामाजिक व कानूनी सहायता की आवश्यकता होती है — और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्रवाई करायें।
निष्कर्ष
बरेली का यह केस हमें यह याद दिलाता है कि घरेलू विवादों की अनदेखी या उन्हें हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है। रिश्तों में संवाद, समझौता और समय पर मदद की तलाश — ये तीनों जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। फिलहाल कानून अपना काम करेगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच-प्रक्रिया न्यायसंगत तरीके से पूरी होगी।
Source: रिपोर्ट का आधार लाइवहिंदुस्तान की रिपोर्ट और पुलिस बयानों पर आधारित है।
Author: NNT Desk
Disclaimer: यह लेख उपलब्ध सूचनाओं और पुलिस रिपोर्ट पर आधारित रूपरेखा है। जांच जारी है; अंतिम तथ्य अदालत के निर्णय के बाद ही निश्चित माने जाएंगे।