उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में रविवार दोपहर एक बड़ा प्राकृतिक हादसा हुआ। धराली गांव में बादल फटने (cloudburst) से भारी तबाही मच गई। अचानक पहाड़ से आए मलबे ने गांव को अपनी चपेट में ले लिया। कई मकान मलबे में दब गए और खीरगंगा नाला उफान पर आ गया।
यह घटना कहां और कब की है?
यह भयावह घटना 4 अगस्त की दोपहर उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में घटी। खीरगंगा और राली बाजार क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। अचानक आई बाढ़ और मलबे ने गांव में तबाही मचा दी।
क्या हुआ जब cloudburst के बाद आया मलबा?
स्थानीय लोगों के मुताबिक, दोपहर के समय अचानक तेज आवाज के साथ बादल फटा और तुरंत ही पहाड़ी से मलबा बहता हुआ गांव में पहुंच गया। video में साफ दिख रहा है कि पानी और पत्थरों का सैलाब घरों को अपनी चपेट में ले रहा है। लोग भय से चीखते हुए सुरक्षित स्थान की ओर भागते नजर आए।
कितना नुकसान हुआ? कितने लोग दबे?
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने पुष्टि की है कि कई मकानों को क्षति पहुंची है और कुछ लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। हालांकि, अब तक कोई सटीक संख्या जारी नहीं की गई है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और SDRF-NDRF की टीमें मौके पर जुटी हैं।
मुख्यमंत्री और प्रशासन की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा, “धराली क्षेत्र में cloudburst से हुए नुकसान का समाचार अत्यंत दुःखद है। SDRF, NDRF, सेना और जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं।” उन्होंने ईश्वर से सभी के सकुशल होने की प्रार्थना भी की।
उत्तराखंड पुलिस की चेतावनी और अपडेट
उत्तराखंड पुलिस ने अपने सोशल मीडिया पर बताया कि खीर गाड़ का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ा है। जनता को नदी और जल स्रोतों से दूर रहने की अपील की गई है। साथ ही, मवेशियों और बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्देश दिया गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया और वायरल video
घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। लोग इस दृश्य को देख सहमे हुए हैं। स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि सैलाब के समय जोरदार आवाजें सुनाई दीं और फिर पूरा इलाका धूल और पानी से भर गया।
निष्कर्ष और प्रशासन से अपील
उत्तराखंड एक बार फिर प्रकृति के प्रकोप का शिकार बना है। इस घटना ने आपदा प्रबंधन की तैयारी पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों और प्रशासन दोनों को मिलकर सतर्कता बरतने की जरूरत है। राहत-बचाव कार्य तेज़ी से जारी है, लेकिन अभी और सतर्कता जरूरी है।